भालू की हजामत
बाल हुए जब बड़े-बड़े, बूढ़े भालू चाचा के।
गुस्से के मारे चाची, उनको बोलीं चिल्ला के।।
बाल कटाने ऊंट चचा के, घर क्यों ना जाते हो?
बागड़ बिल्ला बने घूमते-फिरते इतराते हो।।
भालू बोला ऊंट चचा ने, भाव कर दिए दूने।
साठ रुपए देने में बेगम, जाते छूट पसीने।।
इतनी ज्यादा मंहगाई है, रुपए कहां से लाऊं?
सोचा है इससे जीवन भर, कभी न बाल कटाऊं।।
नहीं हजामत भालूजी ने , अब तक है बनवाई।
बड़े-बड़े बालों में ही अब, रहते भालू भाई।।
बाल हुए जब बड़े-बड़े, बूढ़े भालू चाचा के।
गुस्से के मारे चाची, उनको बोलीं चिल्ला के।।
बाल कटाने ऊंट चचा के, घर क्यों ना जाते हो?
बागड़ बिल्ला बने घूमते-फिरते इतराते हो।।
भालू बोला ऊंट चचा ने, भाव कर दिए दूने।
साठ रुपए देने में बेगम, जाते छूट पसीने।।
इतनी ज्यादा मंहगाई है, रुपए कहां से लाऊं?
सोचा है इससे जीवन भर, कभी न बाल कटाऊं।।
नहीं हजामत भालूजी ने , अब तक है बनवाई।
बड़े-बड़े बालों में ही अब, रहते भालू भाई।।
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