बाबू गधाराम
एक गधे को मिली नौकरी,
दफ्तर के बाबू की|
सबसे अधिक कमाऊ थी जो,
वह कुर्सी काबू की|
काम कराने के बद्ले वे,
जमकर रिश्वत लेते|
जितना खाते उसमें आधा,
वे अफसर को देते|
अफसर भालूराम मजे से,
सभी काम कर देता|
बाबू गधाराम था उसका,
सबसे बड़ा चहेता|
रोज मजे से भालूदादा,
इंग्लिश दारू पीते|
और बुलाकर गधेराम को,
देशी पकड़ा देते|
देशी पीकर गधेराम का,
गला हो गया भोंपू|
इस कारण अब करते रहते,
हर दम ढेंचू ढेंचू|
एक गधे को मिली नौकरी,
दफ्तर के बाबू की|
सबसे अधिक कमाऊ थी जो,
वह कुर्सी काबू की|
काम कराने के बद्ले वे,
जमकर रिश्वत लेते|
जितना खाते उसमें आधा,
वे अफसर को देते|
अफसर भालूराम मजे से,
सभी काम कर देता|
बाबू गधाराम था उसका,
सबसे बड़ा चहेता|
रोज मजे से भालूदादा,
इंग्लिश दारू पीते|
और बुलाकर गधेराम को,
देशी पकड़ा देते|
देशी पीकर गधेराम का,
गला हो गया भोंपू|
इस कारण अब करते रहते,
हर दम ढेंचू ढेंचू|
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