छोटे लोग
हाथी खड़ा नदी के तट पर,
जाना था उस पार।
किश्ती वाला नहीं हुआ ले,
जाने को तैयार।
इस पर तभी एक मेंढ़क ने,
दरिया दिली दिखाई।
बोला चिंतित क्यों होते हो,
प्यारे हाथी भाई।
बिठा पीठ पर तुमको अपनी,
नदिया पार कराऊं।
कठिन समय में दया करूं मैं,
मेंढ़क धर्म निभाऊं।
संबोधन ने मेंढ़कजी के,
हाथी को उकसाया।
पैदल चलकर पाँच मिनिट में,
नदी पार कर आया।
छोटे-छोटे लोग बड़ों को,
भी हिम्मत दे जाते।
और कठिन से कठिन काम भी,
चटपट हल हो जाते।
हाथी खड़ा नदी के तट पर,
जाना था उस पार।
किश्ती वाला नहीं हुआ ले,
जाने को तैयार।
इस पर तभी एक मेंढ़क ने,
दरिया दिली दिखाई।
बोला चिंतित क्यों होते हो,
प्यारे हाथी भाई।
बिठा पीठ पर तुमको अपनी,
नदिया पार कराऊं।
कठिन समय में दया करूं मैं,
मेंढ़क धर्म निभाऊं।
संबोधन ने मेंढ़कजी के,
हाथी को उकसाया।
पैदल चलकर पाँच मिनिट में,
नदी पार कर आया।
छोटे-छोटे लोग बड़ों को,
भी हिम्मत दे जाते।
और कठिन से कठिन काम भी,
चटपट हल हो जाते।
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