अम्मा
सुबह सुबह से गरम पकोड़े,
आज बनाये अम्मा ने|
थाली में रख बड़े प्रेम से,
मुझे खिलाये अम्मा ने|
खट्टी मीठी चटनी भी थी,
पीसी थी सिलबट्टे पर|
किशमिश वाले गुड़ के लड्डू,
मुझे चखाये अम्मा ने|
बहुत दिनों से देशी कपड़े,
पहनूं मेरी इच्छा थी|
कुरते और पजामें सूती,
मुझे सिलाये अम्मा ने|
कभी कभी जब मैंनेँ ठानी,
होटल जाकर खाने की|
डांट डांटकर हँसकर मेरे,
कान हिलाये अम्मा ने|
चकरी भौंरे और खिलोने,
लेने की हठ कर बैठा||
बड़े चाव से खुशी खुशी से,
मुझे दिलाये अम्मा ने|
मेरी इच्छा की वीणा को,
बनकर सरगम, संगत दी|
मेरे सुर में अपने सुर हर,
बार मिलाये अम्मा ने
सुबह सुबह से गरम पकोड़े,
आज बनाये अम्मा ने|
थाली में रख बड़े प्रेम से,
मुझे खिलाये अम्मा ने|
खट्टी मीठी चटनी भी थी,
पीसी थी सिलबट्टे पर|
किशमिश वाले गुड़ के लड्डू,
मुझे चखाये अम्मा ने|
बहुत दिनों से देशी कपड़े,
पहनूं मेरी इच्छा थी|
कुरते और पजामें सूती,
मुझे सिलाये अम्मा ने|
कभी कभी जब मैंनेँ ठानी,
होटल जाकर खाने की|
डांट डांटकर हँसकर मेरे,
कान हिलाये अम्मा ने|
चकरी भौंरे और खिलोने,
लेने की हठ कर बैठा||
बड़े चाव से खुशी खुशी से,
मुझे दिलाये अम्मा ने|
मेरी इच्छा की वीणा को,
बनकर सरगम, संगत दी|
मेरे सुर में अपने सुर हर,
बार मिलाये अम्मा ने
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