चूहे और हाथी
दो चूहों को बीच सड़क पर,
मिल गये हाथी दादा।
चले आ रहे थे जैसे हों,
जंगल के शाहजादा|
उसको देख एक चूहे ने,
दूजे को उकसाया|
दो दो हाथ करें हाथी से,
अच्छा अवसर आया|
कई दिनों से हाथों की भी,
कसरत न हो पाई।
क्यों न हम हाथी दादा की,
कर दें आज धुनाई।
बोला तभी दूसरा चूहा,
उचित नहीं यह भाई|
एक अकेले की दो मिलकर,
जमकर करें पिटाई\
दुनियाँ वालों को भी यह सब,
होगा नहीं गवारा,
लोग कहेंगे दो सेठों ने,
एक गरीब को मारा।
12, शिवम सुंदरम नगर, छिंदवाड़ा, म.प्र.
दो चूहों को बीच सड़क पर,
मिल गये हाथी दादा।
चले आ रहे थे जैसे हों,
जंगल के शाहजादा|
उसको देख एक चूहे ने,
दूजे को उकसाया|
दो दो हाथ करें हाथी से,
अच्छा अवसर आया|
कई दिनों से हाथों की भी,
कसरत न हो पाई।
क्यों न हम हाथी दादा की,
कर दें आज धुनाई।
बोला तभी दूसरा चूहा,
उचित नहीं यह भाई|
एक अकेले की दो मिलकर,
जमकर करें पिटाई\
दुनियाँ वालों को भी यह सब,
होगा नहीं गवारा,
लोग कहेंगे दो सेठों ने,
एक गरीब को मारा।
12, शिवम सुंदरम नगर, छिंदवाड़ा, म.प्र.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें