सोमवार, 8 जून 2015

   बिल्ली दीदी हज  को 
   एक पतंगा मोबाइल पर ,
   लगा बात करने बिल्ली से|
   बोला क्षमा करेंगीं दीदी ,
   बोल रहा हूँ मैं दिल्ली  से |

     हाल यहाँ के ठीक नहीं हैं ,
    अफरा तफरी मची हुई है |
   शेर खा रहें हैं चूहों को ,
    निर्बल जनता डरी हुई है |

    चूहों को तो खास तौर पर,
   सिर्फ तुम्हारे लिए बनाया |
   यमदूतों ने चित्रगुप्त के ,
   खातों  में भी यही लिखाया |

   क्यों चूहों को शेर खा रहे ,
  शोध तुम्हें इस पर करना है |
  जल्दी आओ दीदी दिल्ली,
   आज बिल्लियों का धरना है|

  माल तुम्हारे हिस्से का है,
  कब्जा शेर जमाये बैठे |
  छोटे जीव जंतुओं तक का ,
   माल मज़े से खाए बैठे |

  सदियों से यह रीत रही है,
  चूहों को बिल्ली है  खाती  |
  सौ चूहे जब खा लेती है ,
  तब ही तो है को जा पाती |

 आगे परिश्रम कर लो दीदी,
  कठिन नहीं सौ चूहे खाना |
  इतनी ढीली क्यों हो दीदी,
  नहीं तुम्हें क्या हज को जाना |

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