मंगलवार, 23 जून 2015

           जीवन देगा कौन भला

      पेड़ मिला था ,पेड़ मिला |
      मुझे राह में पेड़ मिला |
     
      पत्ते सूखे सूखे थे |
      डालों के मन रूखे थे |
      नहीं घोंसले कहीं रखे ,
      पंछी उस पर नहीं दिखे |
      बोला तना सुबक कर के,
      मैं तो दुनियां छोड़ चला  |

      जड़ में सेंध लगाईं थी |
      विष की दवा पिलाई थी |
      हींग रखी या मठा  पड़ा ,
      नहीं किसी को पता लगा |
      ऐसे कामों में लेकिन ,
      आगे है इंसान सदा |

       पेड़ हमें वह देते हैं |
       जिसको जीवन कहते हैं |
       मिले ओसजन पेड़ों से ,
       छोटे बड़े अधेड़ों से |          
      अगर  पेड़ न होंगे तो ,
      जीवन देगा कौन भला |  

    

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर...
    आभार...
    लिखना क्यों बन्द किया
    अपना ब्लॉग अद्यतन कीजिए
    सादर

    जवाब देंहटाएं