जीवन देगा कौन भला
पेड़ मिला था ,पेड़ मिला |
मुझे राह में पेड़ मिला |
पत्ते सूखे सूखे थे |
डालों के मन रूखे थे |
नहीं घोंसले कहीं रखे ,
पंछी उस पर नहीं दिखे |
बोला तना सुबक कर के,
मैं तो दुनियां छोड़ चला |
जड़ में सेंध लगाईं थी |
विष की दवा पिलाई थी |
हींग रखी या मठा पड़ा ,
नहीं किसी को पता लगा |
ऐसे कामों में लेकिन ,
आगे है इंसान सदा |
पेड़ हमें वह देते हैं |
जिसको जीवन कहते हैं |
मिले ओसजन पेड़ों से ,
छोटे बड़े अधेड़ों से |
अगर पेड़ न होंगे तो ,
जीवन देगा कौन भला |
पेड़ मिला था ,पेड़ मिला |
मुझे राह में पेड़ मिला |
पत्ते सूखे सूखे थे |
डालों के मन रूखे थे |
नहीं घोंसले कहीं रखे ,
पंछी उस पर नहीं दिखे |
बोला तना सुबक कर के,
मैं तो दुनियां छोड़ चला |
जड़ में सेंध लगाईं थी |
विष की दवा पिलाई थी |
हींग रखी या मठा पड़ा ,
नहीं किसी को पता लगा |
ऐसे कामों में लेकिन ,
आगे है इंसान सदा |
पेड़ हमें वह देते हैं |
जिसको जीवन कहते हैं |
मिले ओसजन पेड़ों से ,
छोटे बड़े अधेड़ों से |
अगर पेड़ न होंगे तो ,
जीवन देगा कौन भला |
बहुत सुन्दर प्रेरक बाल रचना
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआभार...
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सादर