सोमवार, 8 जून 2015

  तितली उड़ती,चिड़िया उड़ती,

      
                                    तितली उड़ती,चिड़िया उड़ती
     कौये कोयल उड़ते|
     इनके उड़ने से ही रिश्ते,
   भू सॆ नभ के जुड़ते||

  धरती से संदेशा लेकर ,
                                                   पंख पखेरु जाते|
गंगा कावेरी की चिठ्ठी,
अंबर को दे आते|

पूरब से लेकर पश्चिम तक,
उत्तर -दक्षिण जाते|
भारत की क्या दशा हो रही ,
मेघों को बतलाते|

संदेशा सुनकर बाद‌लजी,
हौले से मुस्कराते,
पानी बनकर झर झर झर,
धरती की प्यास बुझाते|

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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