नाम रखा है रैन बसेरा,
दो मंजिल का घर है मेरा|
नीचे धरती ऊपर छप्पर,
घर दिखता है कितना सुंदर|बैठक खाना भव्य मनोहर,
खिड़की पर परदों की झालर|
सोफा सेट गद्दियों वाला,
बिछी हुई सुंदर मृगछाला|
कोनों में सुंदर गुलदस्ते|,
दरवाजों में परदे हँसते|
है घर में खुशियों का डेरा|
दो मंजिल का घर है मेरा|
शयन कक्ष भी तीन बने हैं,
परदे बहुत महीन लगे हैं|
बड़े पलंगों पर गादी है,
चादर बिछी स्वच्छ सादी है|
शिवजी की होती हर हर है,
यह दादी का पूजा घर है|
जहां रामजी लड्डू खाते,
कृष्ण कन्हैया धूम मचाते|
सबको सबसे प्रेम घनेरा|
दो मंजिल का घर है मेरा|
इस कमरे में दादी दादा,
उच्च विचार काम सब सादा|
सभी दुआयें लेने आते,
दादी दादा झड़ी लगाते|
बच्चे धूम मचाते दिन भर,
भरा लबालब खुशियों से घर|
दादाजी के लगें ठहाके,
लोट पोट हैं हँसा हँसा के|
कण कण में आनंद बिखेरा|
दो मंजिल का घर है मेरा|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें