वीर बहादुर बनके रहना
सांझ समय उस दिन मेले में,
हुआ अचानक हमला|
उस हमले को देख सहम गये,
राजू विमला कमला|
मुँह ढांके काले कपड़े से,
दिखे कई आतंकी|
दाग रहे थे तड़ तड़ गोले,
वे पागल वे सनकी|
भगदड़ मची लोग थे घायल,
इधर उधर को भागे|
कुछ ने जान बचा ली अपनी,
कुछ मर गये अभागे|
समझ न आया था लोगों को,
कहर कहां से बरपा|
चला रहे थे धड़ धड़ गोली,
भेजा किसका सरका|
जान बचाने जन समूह जब,
दौड़ रहा था आगे|
दुष्टों ने पीछे से आकर,
भड़ भड़ गोले दागे|
सब डर डर के दुबक गये थे,
जहां जगह मिल पाई|
भिड़ने की उन द्ष्टों से,
दम नहीं किसी में आई|
मरते गिरते देख जोर से,
विमला तब चिल्लाई|
इन दुष्टों का करो सामना,
मिलकर मेरे भाई|
सुनकर आवाजें विमला की,
हो गये लोग इकट्ठे|
उन दुष्टों पर फेके जूते,
ईंटें बोरे फट्टे|
जो जिसके हाथों में आया,
लेकर के वह दौड़ा|
जन समूह ने आगे बढ़कर,
दुष्टों का सिर फोड़ा|
तब आतंकी डरकर भागे,
करते करते फायर|
धीर वीर लोगों के आगे,
नहीं टिक सके कायर|
किंतु अचानक विमला के सिर,
पर एक गोली आई|
अपनी जान गवांकर उसने,
सबकी जान बचाई|
पकड़े गये सभी आतंकी,
बच्चों की हिम्मत से,
जीत सदा हासिल होती है,
बल कौशल ताकत से|
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