नहीं रहूंगा अब गुस्साके
मुझको दे दो अभी बनाके,
अम्मा गरमा गरम परांठे|
भूख लगी जोरों से मुझको,
आज सुबह से कुछ ना खाया|
गुस्सा गुस्सी के कारण मैं,
लंच पेक ना ले जा पाया|
पेट हुआ मां बिल्कुल खाली,
चूहे कूद रहे गन्नाके|
अम्मा तुमने तो बोला था,
ब्रेड बटर काजू खाना है|
किशमिह मिला दूध पीना है,
खाली पेट नहीं जाना है|
पर मां तुम तो हार गईं थी,
मेरी जिद्दम जिद के आगे|
भूख लगी जब शाला में तो,
हुआ मुझे भारी पछतावा|
सुबह कहा ना माना अम्मा,
मैंने तुझसे किया छलावा|
कान पकड़ अब कहता तुझसे,
नहीं करूंगा अब हठ आगे|
जैसा तू बोलेगी अम्मा,
मैं तेरा कहना मानूंगा|
सुबह नाश्ते में जो देगी,
खुशी खुशी से मैं खा लूंगा|
कभी नहीं झगड़ूंगा तुझ से.
नहीं रहूंगा अब गुस्साके|
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें