- खेल भावना
- एक सड़क पर मक्खी मच्छर,
- बैठ गये शतरंज खेलने|
- थे सतर्क बिल्कुल चौकन्ने
- एक दूजे के वार झेलने।
- मक्खी ने जब चला सिपाही,
- मच्छर ने घोड़ा दौड़ाया|
- मक्खी ने चलकर वजीर को,
- मच्छर का हाथी लुड़काया।
- मच्छर ने गुस्से के मारे,
- ऊँट चलाकर हमला बोला|
- मक्खी ने मारा वजीर से
- ऊँट हो गया बम बम भोला।
- ऊँट मरा जैसे मच्छर का,
- वह गुस्से से लाल हो गया|
- मक्खी बोली यह मच्छर तो,
- अब जी का जंजाल हो गया|
- मच्छर ने तलवार उठाकर,
- मक्खीजी पर वार कर दिया|
- मक्खी ने मच्छर का सीना
- चाकू लेकर पार कर दिया|
- मच्छर मक्खी दोनोँ का ही,
- पल में काम तमाम हो गया|
- देख तमाशा रुके मुसाफिर,
- सारा रस्ता जाम हो गया।
- खेलो खेल सदा मिलजुलकर,
- झगड़ा दुखदाई होता है|
- खेल खेल में लड़ जाना तो,
- बीज दुश्मनी के बोता है|
शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013
खेल भावना
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